पंजाब के वित्त मंत्री और वरिष्ठ आम आदमी पार्टी (आप) नेता हरपाल सिंह चीमा ने कांग्रेस पार्टी पर भ्रष्टाचार को लेकर करारा हमला बोला है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने कार्यालय के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगाना चाहिए, जिस पर मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक और पंचायत चुनावों के टिकटों की “रेट लिस्ट” लिखी हो, ताकि जनता को पहले से ही पता चल सके कि कौन-सा पद कितने में मिलता है।
चंडीगढ़ स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए हरपाल सिंह चीमा ने नवजोत कौर सिद्धू के उस सनसनीखेज बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की टिकट 500 करोड़ रुपये में बेची गई। चीमा ने व्यंग्य करते हुए कहा कि अब तक तो यह “रेट” और भी बढ़ चुकी होगी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि चार दिन बीतने के बावजूद मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से अब तक यह स्पष्ट क्यों नहीं किया गया कि यह पैसा आखिर जाता कहां है।
वित्त मंत्री ने सुनील जाखड़ के उस पुराने आरोप का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि चरणजीत सिंह चन्नी ने 350 करोड़ रुपये में मुख्यमंत्री पद हासिल किया था। चीमा ने इस पूरे मामले पर कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व की खामोशी को “हैरान करने वाली” बताया। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह, राहुल गांधी, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा की इस मुद्दे पर चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
हरपाल सिंह चीमा ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री के उस बयान की भी कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने नवजोत कौर सिद्धू को मनोवैज्ञानिक इलाज की सलाह दी थी। चीमा ने कहा कि नवजोत कौर सिद्धू एक कैंसर सर्वाइवर हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई जीत ली है और अब वह पंजाब की जनता के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इलाज की ज़रूरत नवजोत कौर सिद्धू को नहीं, बल्कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेतृत्व को है, जो सच्चाई से मुंह छुपा रहा है।
वित्त मंत्री ने कांग्रेस में कथित भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण देते हुए 10 दिसंबर 2021 को पंजाब भवन में दो मंत्रियों के बीच हुई हाथापाई की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि उस दौरान तबादलों में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि वही नेता आज भी कांग्रेस में विधायक और सांसद के रूप में सक्रिय हैं।
हरपाल सिंह चीमा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी इस पूरे मामले में दोषमुक्त नहीं बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के जरिए पद हासिल करने वाले दो नेता आज भाजपा में शामिल हैं, लेकिन उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। भाजपा के ईमानदारी के दावों पर सवाल उठाते हुए चीमा ने कहा कि अगर पार्टी वास्तव में भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो उसे ऐसे नेताओं को तुरंत बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए था।
उन्होंने सुनील जाखड़ पर वर्षों तक चुप्पी साधे रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे संविधान की बार-बार शपथ लेने के बावजूद जाखड़ सच्चाई को दबाने के दोषी हैं।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि वर्ष 2017 में, जब ‘आप’ विपक्ष में थी और कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, तभी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया था। उन्होंने बताया कि यह भ्रष्टाचार केवल दलित समाज के युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित करने वाले स्कॉलरशिप घोटाले तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें कैबिनेट मंत्रियों के बच्चों और रिश्तेदारों को नौकरियां दिलाने के लिए की गई कथित कैबिनेट बैठकों का भी मामला शामिल था।
इसके विपरीत, भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए चीमा ने कहा कि सत्ता में आने के बाद “ग्रीन पेन” का इस्तेमाल पहली बार आम घरों के युवाओं को पारदर्शी तरीके से नौकरियां देने के लिए किया गया। उन्होंने दावा किया कि अब तक 56 हजार से अधिक युवाओं को बिना किसी सिफारिश और घूस के सरकारी नौकरियां दी जा चुकी हैं।






