भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे विधायक रमन अरोड़ा का पुलिस रिमांड न बढ़ाते हुए माननीय अदालत ने चाहे उसे ज्यूडीशियल रिमांड में भेज दिया है। परंतु इसके बावजूद रमन अरोड़ा की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसके साथ ही विजीलैंस विभाग ने अब रमन अरोड़ा के खिलाफ जांच का दायरा और भी ज्यादा बढ़ा दिया है। विजीलैंस विभाग ने रमन अरोड़ा और उनके करीब एक दर्जन रिश्तेदारों और नजदीकी साथियों के नाम पर मौजूद प्रॉपर्टियों का विस्तृत रेवेन्यू रिकॉर्ड तलब किया है। विजीलैंस ब्यूरो जालंधर रेंज की ओर से जालंधर के डिप्टी कमिश्नर को लिखे गए एक औपचारिक पत्र में स्पष्ट कहा है कि रमन अरोड़ा के साथ-साथ उनकी बेटी, पत्नी, बहू, बेटा, समधी, भाई, दामाद, 3 पी.ए., दोस्त महेश मखीजा के नाम पर जिले के शहरी व देहाती क्षेत्रों में दर्ज प्लाट, दुकानें, मकान, प्लाट या किसी भी प्रकार की अचल संपत्ति का सम्पूर्ण ब्यौरा जल्द से जल्द विभाग को उपलब्ध करवाया जाए। इस पत्र ने राजनीतिक हलकों के साथ-साथ नौकरशाही में भी हलचल मचा दी है।
रमन अरोड़ा की ‘काली कमाई’ पर शिकंजा
रमन अरोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने विधायक बनने के बाद अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर धन एकत्र किया और उसे अचल संपत्तियों में निवेश किया। विजीलैंस विभाग को संदेह है कि उनकी काफी संपत्ति उनके नाम पर न होकर उनके परिजनों और नजदीकी सहयोगियों के नाम पर दर्ज है। इसी कारण विभाग ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए अब उनके रिश्तेदारों और करीबियों की संपत्तियों की भी पड़ताल शुरू कर दी है। विभाग का मानना है कि रमन अरोड़ा की ‘बेनामी’ संपत्तियों का जाल पूरे जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में फैला हुआ है। इसके पीछे मकसद यह है कि इन सम्पत्तियों की असली फंडिंग की जांच की जा सके और यह पता लगाया जा सके कि क्या इनमें से कोई संपत्ति काले धन से खरीदी गई है।