सतलुज दरिया के उफान के बीच लुधियाना प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बीती रात साढ़े 8 बजे लुधियाना प्रशासन का काफिला पोकलेन मशीनों सहित गांव लसाड़ा पहुंचा था। प्रशासन का मकसद कथित तौर पर लसाड़ा और नवांशहर की तरफ जाते गांव पंदरावल के बीच बांध तोड़ना था, ताकि लुधियाना के सुसराली गांव को बाढ़ से बचाया जा सके।
जैसे ही ग्रामीणों को इस कार्रवाई की भनक लगी, वे बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए और प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियों को घेर लिया। ग्रामीणों के गुस्से और बढ़ते विरोध को देखते हुए, लुधियाना प्रशासन का काफिला, जिसमें एक एस.डी.एम. की गाड़ी भी शामिल थी, मौके से भाग निकला।
ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन ने तर्क दिया था कि सुसराली गांव का बांध कमजोर हो चुका है, इसलिए पानी का बहाव दूसरी ओर मोड़ने के लिए लसाड़ा-पंदरावल के बीच से बांध तोड़ा जाना चाहिए। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इससे दर्जनों गांव डूब जाते और भारी तबाही मच सकती थी।
गांववासियों ने गुरुद्वारों में अनाउंसमेंट करवाकर लोगों को सतर्क कर दिया। इसके बाद सतलुज दरिया किनारे बसे सभी गांवों के लोग पूरी रात बांध की रखवाली करते रहे।
स्थानीय प्रशासन ने इस घटना की शिकायत डी.जी.पी. पी.के. सिन्हा को फोन पर दी है। वहीं, ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सुसराली गांव के पास पहले अवैध माइनिंग करवाई गई थी, जिसके कारण वहां का बांध कमजोर हो चुका है और अब विधायक की नाकामी छिपाने के लिए यह कदम उठाया गया।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर आगे भी प्रशासनिक गाड़ियां बांध तोड़ने पहुंचीं, तो सभी गांववासी इकट्ठा होकर कड़ा विरोध करेंगे।