पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने जालंधर नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। अब तक इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा, असिस्टैंट टाऊन प्लानर सुखदेव वशिष्ठ और बिल्डिंग इंस्पैक्टर हरप्रीत कौर को गिरफ्तार किया जा चुका है। विजिलेंस की टीम अब रमन अरोड़ा के कुछ करीबी सहयोगियों और रिश्तेदारों की तलाश में जुटी है, जबकि निगम के कई अन्य अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। इसी बीच नगर निगम में बिना टैंडर करोड़ों के काम करवाने वाले अधिकारी विजिलेंस जांच बंद करवाने को दवाब बनाने में लगे हैं।
अब विजिलेंस की जांच का मुख्य फोकस नगर निगम के बिल्डिंग विभाग, बी. एंड आर. (बिल्डिंग एंड रोड्स) और ओ. एंड एम. (ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस) सैल में हुए भ्रष्टाचार पर है। जांच में सैंक्शन और कोटेशन के आधार पर करवाए गए कार्यों की गहन छानबीन की जा रही है।
आरोप है कि इन कामों को करवाते समय पंजाब सरकार के नियमों, खासकर 2022 में लागू ट्रांसपेरेंसी एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट की खुलेआम अवहेलना की गई। इस एक्ट के तहत कमिश्नर को 5 लाख रुपए से कम के कार्य सैंक्शन के आधार पर करवाने की अनुमति है, लेकिन जालंधर नगर निगम में पिछले 2-3 वर्षों में करोड़ों रुपए के कार्य बिना टैंडर के मनचाहे ठेकेदारों को सौंपे गए।
विजिलेंस की जांच में सामने आया है कि निगम में अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच गहरी सांठगांठ है, जिसके चलते सैंक्शन के आधार पर हुए कार्यों की करोड़ों रुपए की पेमैंट ठेकेदारों को आसानी से मिल रही है। सफाई, पेंटिंग और स्ट्रीट लाइट जैसे कार्य, जो सामान्यतः टैंडर के माध्यम से होने चाहिए, सैंक्शन के आधार पर करवाए गए। आरोप है कि इन कार्यों के लिए कोटेशन ठेकेदारों द्वारा ही उपलब्ध करवाए गए, और निगम अधिकारियों ने फील्ड में जाकर कोटेशन की जांच नहीं की। यदि कोई कोटेशन फर्जी पाया गया तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।