भारतीय वायुसेना के जांबाज कैप्टन रंजीत सिंह सिद्धू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के मुरिदके और बहावलपुर में आतंकी ठिकानों पर सटीक वार करने वाले भारतीय पायलटों में पंजाब के श्रीमुक्तसर साहिब के रहने वाले कैप्टन रंजीत सिंह का नाम भी शामिल है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में उनकी अहम भूमिका रही। इसी साहस और पराक्रम के लिए भारत सरकार ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की है।
रफाल के पहले जत्थे को उड़ाने का गौरव
कैप्टन रंजीत सिंह सिद्धू का सफर वीरता और गौरव की मिसाल है। वर्ष 2021 में जब फ्रांस से भारत को पांच राफेल लड़ाकू विमान सौंपे गए थे, तब पहले जत्थे में शामिल एक राफेल को अंबाला एयरबेस तक उड़ाने का सम्मान भी उन्हें मिला। उस ऐतिहासिक क्षण ने उन्हें भारतीय वायुसेना का गौरव बना दिया।
पंजाब की धरती से निकला जाबांज
रंजीत सिंह सिद्धू मूल रूप से जिला बठिंडा के रायके कलां गांव से ताल्लुक रखते हैं। वर्तमान में उनका परिवार श्रीमुक्तसर साहिब में रह रहा है। उनका साहस और वीरता पंजाब की शान और पूरे देश की प्रेरणा है।
वीर चक्र – देश का सर्वोच्च वीरता सम्मान
वीर चक्र भारतीय सेना और वायुसेना को दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य अलंकरणों में से एक है। यह सम्मान युद्ध क्षेत्र या ऑपरेशन में असाधारण साहस और अदम्य हौसले का परिचायक है। कैप्टन सिद्धू को यह सम्मान मिलने से न केवल वायुसेना का गौरव बढ़ा है बल्कि पंजाब का मान भी ऊँचा हुआ है।