कांग्रेस पार्टी के 141वें स्थापना दिवस के अवसर पर फगवाड़ा में जिला कपूरथला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं विधायक सरदार बलविंदर सिंह धालीवाल (रिटायर्ड आईएएस) के निवास स्थान पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अमृतसर से कांग्रेस सांसद सरदार गुरजीत सिंह औजला विशेष रूप से शामिल हुए, जबकि सुल्तानपुर लोधी के पूर्व विधायक नवतेज सिंह चीमा भी उनके साथ मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान सांसद गुरजीत सिंह औजला ने पार्टी का ध्वज फहराया और सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं। विधायक धालीवाल ने इस मौके पर कहा कि कांग्रेस पार्टी की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी और यह देश के लिए गर्व की बात है कि कांग्रेस ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू सहित कई महान नेताओं के नेतृत्व में भारत की आज़ादी के लिए लंबा संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने जेलें काटीं, कुर्बानियां दीं और अंततः देश को स्वतंत्रता दिलाई।
इस अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में सांसद गुरजीत सिंह औजला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाकर राष्ट्रपिता का अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम भाजपा और आरएसएस की उस विचारधारा को दर्शाता है, जो गांधीजी के विचारों से असहमत रही है।
सांसद औजला ने कहा कि जब कांग्रेस के नेतृत्व में डॉ. मनमोहन सिंह सरकार ने मनरेगा योजना की शुरुआत की थी, तब इसका उद्देश्य भूमिहीन और साधनहीन ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी देना था। उस समय योजना के तहत 90 प्रतिशत वित्तीय सहायता केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत राज्यों द्वारा वहन की जाती थी। लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार ने इस अनुपात को बदलकर 60:40 कर दिया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब जैसे कर्ज में डूबे राज्य के लिए 40 प्रतिशत खर्च उठाना बेहद कठिन है। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार पंजाब में मनरेगा योजना को कमजोर या बंद करना चाहती है। सांसद औजला ने आरोप लगाया कि यह कदम भाजपा और आरएसएस के पंजाब विरोधी चेहरे को उजागर करता है।
एक सवाल के जवाब में सांसद गुरजीत सिंह औजला, विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल और पूर्व विधायक नवतेज सिंह चीमा ने संयुक्त रूप से कहा कि योजना का नाम “वीबी-जी राम जी” रखने से कांग्रेस को आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि जिस योजना का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ था, उसे बदलने की आवश्यकता क्यों पड़ी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यदि भगवान राम के नाम पर योजना चलाई जा रही है, तो उसका 100 प्रतिशत खर्च भी केंद्र सरकार को ही उठाना चाहिए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कांग्रेस के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद रहे और सभी ने पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया।








