श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में पंजाब सरकार द्वारा श्रीनगर स्थित गुरुद्वारा छेवीं पातशाही में आयोजित विशेष कीर्तन दरबार में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शिरकत करते हुए सिख संगत के साथ नमन व श्रमण किया।
इस पावन अवसर पर अरविंद केजरीवाल ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, दर्शन और बलिदान को संपूर्ण मानवता के लिए प्रकाश स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि नौवें गुरु साहिब का प्रेम, धर्मनिरपेक्षता, सहनशीलता, धार्मिक स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। केजरीवाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु साहिब का सर्वोच्च बलिदान किसी एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता की रक्षा और धार्मिक अधिकारों की स्वतंत्रता के लिए था।
उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब सरकार इस ऐतिहासिक अवसर को श्रद्धा, सम्मान और अद्वितीय व्यवस्थाओं के साथ मना रही है, ताकि गुरु साहिब के उपदेशों को विश्वभर के लोगों तक पहुंचाया जा सके।
केजरीवाल ने बताया कि कश्मीर के पंडितों ने अपने धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी से मदद मांगी थी, और अत्याचार के आगे झुकने की बजाय गुरु साहिब ने दिल्ली के चांदनी चौक में शहादत स्वीकार कर मानवाधिकारों के लिए नया इतिहास रचा। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब दुनिया के पहले ऐसे शहीद हैं, जिन्होंने मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान किया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्व इतिहास में संयम, वीरता और सेवा की अनेक गाथाएँ हैं, परंतु गुरु तेग बहादुर जी की शहादत ने मानव इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय लिख दिया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि गुरु साहिब के दादा, पांचवें पातशाह गुरू अर्जन देव जी ने भी धर्म और मानवता के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का संबोधन
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस अवसर को “सौभाग्य और बख्शीश” बताते हुए कहा कि सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने देश के इतिहास को एक नई दिशा दी।
उन्होंने कश्मीरी पंडित पंडित कृपा राम जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्हीं की अगुवाई में कश्मीरी पंडितों ने गुरु साहिब से सहायता मांगी थी। उन्होंने बताया कि इस समारोह की सबसे विशेष बात यह है कि श्रीनगर से निकाले जाने वाले नगर कीर्तन में कश्मीरी पंडित भी शामिल होंगे — जो भाईचारे और सद्भाव का सुंदर प्रतीक है।
मान ने कहा कि गुरु साहिब का बलिदान किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए था। उन्होंने याद दिलाया कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के 24 वर्ष बाद 1699 में खालसा पंथ की स्थापना हुई, जिसने धार्मिक मूल्यों और न्याय के लिए लड़ने की भावना को और मजबूत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नौवें पातशाह जी का जीवन और दर्शन आज भी मानवता को प्रेरित करता है। पंजाब सरकार पूरे देश और विदेश में गुरु साहिब के जीवन, शहादत और धार्मिक स्वतंत्रता के संदेश को प्रसारित करने हेतु अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
उन्होंने कहा, “जो कौमें अपनी विरासत भूल जाती हैं, वे इतिहास से मिट जाती हैं। लेकिन जो अपनी परंपराओं और शहीदों के मार्ग पर चलते हैं, वे अंधकार में भी रोशनी ढूंढ लेते हैं।”
पंजाब सरकार ने आश्वासन दिया है कि गुरु जी की शिक्षाओं और बलिदान को विश्व पटल पर अमर करने के लिए शताब्दी कार्यक्रम निरंतर जारी रहेंगे।








