पंजाब की शिक्षा और स्वायत्तता पर केंद्र सरकार के कथित हस्तक्षेप के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराया।
‘आप’ का यह प्रतिनिधिमंडल वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा की अगुवाई में राजभवन पहुंचा और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने के फैसले के खिलाफ मांग पत्र सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल में सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर, मलविंदर सिंह कंग, विधायक दिनेश चड्ढा, गोल्डी कंबोज, दविंदर सिंह लाडी ढोंस, वतनवीर गिल, आई.पी. सिद्धू और रविंदर धालीवाल शामिल रहे।
🔹 चीमा बोले — “बीबीएमबी के बाद अब केंद्र यूनिवर्सिटी पर कब्जे की साज़िश रच रहा है”
बैठक के बाद वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पंजाब की स्वायत्त संस्थाओं पर लगातार कब्जा करने की कोशिश कर रही है।
“पहले बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) पर अधिकार छीने गए, अब वही खेल पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ खेला जा रहा है।”
चीमा ने कहा कि केंद्र ने पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट की सदस्य संख्या 90 से घटाकर केवल 31 कर दी, जिनमें से 13 सदस्य खुद केंद्र द्वारा मनोनीत होंगे।
“यह लोकतंत्र पर हमला है, और पंजाब यूनिवर्सिटी की पहचान मिटाने की साजिश है।”
उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल असंवैधानिक है, बल्कि इससे 200 से अधिक कॉलेजों और लाखों छात्रों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
“यह सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं, पंजाब के स्वाभिमान और पहचान का सवाल है।”
🔹 मीत हेयर बोले — “पंजाब यूनिवर्सिटी हमारी ऐतिहासिक विरासत है”
सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि “पंजाब यूनिवर्सिटी वह संस्था है, जिसने बंटवारे के बाद पंजाबियों को अपनी खोई हुई पहचान लौटाई।”
“जब पंजाबियों ने लाहौर में अपना घर और विरासत खोई, तब यूनिवर्सिटी हमारा नया प्रतीक बनी। यह सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं, पंजाब की आत्मा है।”
हेयर ने कहा कि केंद्र का यह कदम पंजाबियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
“यूनिवर्सिटी की कानूनी स्थिति एक ‘इंटर-स्टेट बॉडी कॉर्पोरेट’ के रूप में है, जिसे पंजाब की सहमति के बिना बदला नहीं जा सकता।”
उन्होंने कहा कि केंद्र की मनमानी ने छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।
🔹 मलविंदर सिंह कंग ने कहा — “केंद्र का फैसला गैर-संवैधानिक और अवैध”
‘आप’ सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय का नोटिफिकेशन पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 का खुला उल्लंघन है।
“यह एक्ट पंजाब विधानसभा द्वारा पारित हुआ था, इसलिए केंद्र को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। शिक्षा राज्य का विषय है और केंद्र का दखल असंवैधानिक है।”
कंग ने कहा कि यूनिवर्सिटी का लोकतांत्रिक ढांचा 60 वर्षों से सफलतापूर्वक चल रहा था, लेकिन केंद्र की यह कार्रवाई “पंजाब की आवाज़ को दबाने की साजिश” है।
🔹 ‘आप’ ने राज्यपाल से की अपील
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक संरचना को बहाल कराने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करें।
‘आप’ ने मांग की कि
- 28 अक्टूबर के नोटिफिकेशन और 4 नवंबर के स्थगन आदेश को स्थायी रूप से रद्द किया जाए,
- और सीनेट व सिंडिकेट को पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट 1947 व पुनर्गठन एक्ट 1966 के अनुसार बहाल किया जाए।
चीमा ने कहा —
“भगवंत मान सरकार पंजाब की पहचान, शिक्षण संस्थाओं और छात्रों के हक की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष जारी रखेगी।”








