शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत नहीं मिली।
2022 के अमृतसर जोन की जमीन खरीद मामले में संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए मजीठिया द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका पर आज कोर्ट ने फैसला सुनाया और याचिका खारिज कर दी।
🔹 कोर्ट ने कहा — FIR में नाम नहीं, तो जमानत याचिका निरर्थक
जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि एफआईआर में मजीठिया का नाम शामिल नहीं है, ऐसे में अग्रिम जमानत का कोई औचित्य नहीं बनता।
कोर्ट ने कहा —
“जब FIR में नाम नहीं है, तो गिरफ्तारी का सवाल ही नहीं उठता। ऐसी स्थिति में अग्रिम जमानत की याचिका निरर्थक मानी जाती है।”
इसी आधार पर कोर्ट ने मजीठिया की याचिका खारिज कर दी, जिससे उन्हें इस मामले में कोई कानूनी राहत नहीं मिल सकी।
🔹 मामला क्या है?
यह पूरा मामला वर्ष 2022 में दर्ज एक जमीन खरीद विवाद से जुड़ा है।
अमृतसर जोन में दर्ज एक एफआईआर में कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सरकारी भूमि से जुड़ी खरीद-फरोख्त में अनियमितताएं कीं।
हालांकि, उस एफआईआर में बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम नहीं था, लेकिन गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी।
🔹 सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने रखी दलीलें
सुनवाई के दौरान मजीठिया की ओर से दलील दी गई कि राजनीतिक प्रतिशोध के चलते उन्हें निशाना बनाया जा सकता है।
वहीं, सरकार की ओर से दलील दी गई कि एफआईआर में मजीठिया का कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए यह जमानत याचिका असमय और आधारहीन है।
कोर्ट ने सरकार की दलील से सहमति जताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
🔹 राजनीति में फिर बढ़ी हलचल
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पंजाब की सियासत में फिर से हलचल तेज हो गई है।
शिरोमणि अकाली दल ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” की साजिश बताया है, जबकि विपक्षी दलों का कहना है कि मजीठिया अपने पुराने विवादों की वजह से लगातार कानूनी मुश्किलों में घिरे हैं।








