पंजाब की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले में पंजाब सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशू को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. को रद्द कर दिया था। इस एफ.आई.आर. में दो जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी और एक ठेकेदार भी सह-आरोपी बनाए गए थे।
सरकार का आरोप है कि 2020-21 की पंजाब फूडग्रेन लेबर एंड कार्टेज पॉलिसी में मनमाने तरीके से संशोधन किया गया, ताकि पसंदीदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा सके और रिश्वत लेकर टेंडर बांटे गए।
हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नीति संशोधन को पहले ही डिवीजन बेंच द्वारा सही ठहराया जा चुका है और ठेकों को कैबिनेट व वित्त विभाग की मंज़ूरी भी मिली थी, इसलिए केवल मंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के नए पहलू सामने आने की उम्मीद है। यह केस न केवल भारत भूषण आशू की राजनीतिक साख बल्कि पंजाब सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की कसौटी भी साबित हो सकता है।