सरदार बूटा सिंह (21 मार्च 1934 – 2 जनवरी 2021) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, भारत सरकार के पूर्व गृह मंत्री, बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के पूर्व अध्यक्ष रहे। छह दशकों से अधिक के सार्वजनिक जीवन में उन्होंने संसदीय, संगठनात्मक और प्रशासनिक—तीनों स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 1986–1989 के दौरान राजीव गांधी सरकार में वे गृह मंत्री रहे, 2004–2006 में बिहार के राज्यपाल और 2007–2010 के बीच NCSC के चेयरमैन रहे।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
- जन्म: 21 मार्च 1934, गाँव मुस्तफ़ापुर, ज़िला जालंधर (तत्कालीन ब्रिटिश भारत)।
- शिक्षा: लायलपुर खालसा कॉलेज (जालंधर) से B.A. (Hons), मुंबई के गुरु नानक खालसा कॉलेज से M.A., बाद में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से Ph.D.
प्रारंभिक करियर: पत्रकारिता से सार्वजनिक जीवन में प्रवेश; शुरुआती राजनीति में अकाली दल से चुनाव लड़ा, बाद में 1960 के दशक के उत्तरार्ध में कांग्रेस में आए।
राजनीतिक सफर: संसद से मंत्रालय तक
- लोकसभा में प्रवेश: 1962 में पहली बार निर्वाचित; बाद में 4th, 5th, 7th, 8th, 10th, 12th और 13th लोकसभा के सदस्य रहे—कई बार पंजाब और एक बार राजस्थान (जालोर) से।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल:
- संसदीय कार्य व खेल मंत्री (1982–1984) – 1982 एशियाई खेलों की आयोजन समिति के चेयरमैन भी रहे।
- कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री (1984–1986)।
- गृह मंत्री (1986–1989), राजीव गांधी मंत्रिमंडल में।
नागरिक आपूर्ति/उपभोक्ता मामले (1995–1996)।
राज्यपाल: बिहार के राज्यपाल (5 नवम्बर 2004–29 जनवरी 2006); इस दौरान 2005 में विधानसभा भंग करने की उनकी संस्तुति पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी।
अनुसूचित जाति आयोग: 2007–2010 में NCSC के चेयरमैन (कॅबिनेट रैंक)।
प्रमुख योगदान और पहल
- दलित प्रतिनिधित्व की मज़बूत आवाज़: पार्टी और सरकार—दोनों मंचों पर सामाजिक न्याय व समान अवसरों की वकालत की। NCSC प्रमुख रहते शिकायत निवारण प्रणाली और निरीक्षणों पर ज़ोर दिया।
- प्रशासनिक अनुभव: गृह, कृषि, संसदीय कार्य, खेल, उपभोक्ता मामले, संचार आदि—कई अहम मंत्रालयों का नेतृत्व; 1982 एशियाई खेलों के आयोजन में केंद्रीय भूमिका।
नीतिगत हस्तक्षेप: गृह मंत्रालय के दौरान आंतरिक सुरक्षा व पंजाब से जुड़े संवेदनशील प्रश्नों पर केंद्र सरकार की नीतियों के समन्वय में अहम भूमिका बताई जाती है।
निजी जीवन और रचनात्मक पक्ष
- 1964 में मंजीत कौर से विवाह; तीन संतानें।
साहित्यिक-वैचारिक रुचि: Punjabi Speaking State – A Critical Analysis जैसी कृतियों का उल्लेख मिलता है; पंजाबी साहित्य और सिख इतिहास पर लेखन।
निधन
2 जनवरी 2021 को नई दिल्ली में ब्रेन हैमरेज की जटिलताओं के कारण 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। राष्ट्रीय स्तर पर शोक और संवेदनाएँ व्यक्त की गईं।
फ़ैक्टबॉक्स (त्वरित संदर्भ)
- पूरा नाम: सरदार बूटा सिंह
- जन्म–मृत्यु: 21 मार्च 1934 – 2 जनवरी 2021
- राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- मुख्य पद:
- केंद्रीय गृह मंत्री (1986–1989)
- बिहार के राज्यपाल (2004–2006)
- NCSC के चेयरमैन (2007–2010)
- पहला लोकसभा चुनाव: 1962
महत्वपूर्ण क्षेत्र: सामाजिक न्याय, आंतरिक सुरक्षा, कृषि/ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामले।
समयरेखा (Timeline)
- 1962: पहली बार लोकसभा पहुँचे।
- 1981–82: एशियाई खेल आयोजन समिति के चेयरमैन।
- 1982–84: संसदीय कार्य व खेल मंत्री।
- 1984–86: कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री।
- 1986–89: केंद्रीय गृह मंत्री।
- 1995–96: नागरिक आपूर्ति/उपभोक्ता मामले मंत्री।
- 2004–06: बिहार के राज्यपाल।
- 2007–10: NCSC चेयरमैन।
- 2021: निधन।
विरासत (Legacy)
सरदार बूटा सिंह भारतीय राजनीति में उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने संगठन, संसद और सरकार—तीनों में बराबर वजनदारी से काम किया। दलित समाज के सशक्त प्रतिनिधि के रूप में उनकी पहचान बनी रही। गृह मंत्रालय से लेकर आयोग प्रमुख तक, अलग-अलग भूमिकाओं में उनकी प्रशासनिक पकड़ और राजनीतिक नेटवर्किंग स्पष्ट दिखती है।
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